अवध की बेगम हज़रत महल -Begum Hazrat Mahal First Great Warrior of The India

रानी लक्ष्मीबाई के बारे में तो हम सभी जानते हैं क्योंकि बचपन में ही हमें उनके बारे में बताया और पढ़ाया गया लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी कि बेगम हज़रत महल (Begum Hazrat Mahal) जो अवध की बेगम के नाम से भी प्रसिद्ध थीं, अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी थीं जो 7 जुलाई 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ रणभूमि में उतरने वाली पहली महिला थीं जिनके कुशल नेतृत्व में उनकी सेना ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए साहसी बेगम हज़रत महल ने अवध प्रांत के गोंडा, फैजाबाद, सलोन, सुल्तानपुर, सीतापुर, बहराइच आदि को अंग्रेजों से मुक्त करा कर लखनऊ पर फिर से अपना कब्जा जमा लिया था। उन्होंने अपने सैनिकों के उत्साह को बढ़ाने के लिए स्वयं युद्ध में भी भाग लिया।

अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े से अपनी रियासत बचाने के लिए उन्होंने अपने बेटे नवाबज़ादे बिरजिस क़द्र को अवध का शासक नियुक्त करने की कोशिश की थी मगर उनका शासन जल्द ही ख़त्म होने की वजह से उनकी यह कोशिश असफल रह गई। बेगम हज़रत महल का मक़बरा जामा मस्जिद घंटाघर के पास काठमांडू के मध्य भाग में स्थित है, प्रसिद्ध दरबार मार्ग से ज़्यादा दूर नहीं है।

  • 7 जुलाई 1857 को अंग्रेजों के खिलाफ रणभूमि में उतरने वाली पहली महिला।
  • अंग्रेजों को कई बार पराजित किया और अवध प्रांत के कई जिलों को अंग्रेजों से मुक्त कराया।
  • लखनऊ पर फिर से अपना कब्जा जमा लिया।
  • 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ निर्णायक भूमिका निभाई।

बेगम हज़रत महल एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व थीं। उन्होंने अपनी वीरता और साहस से भारत के इतिहास में अपना अमिट स्थान बनाया है। वह आज भी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं।

बेगम हज़रत महल: एक ऐतिहासिक इमारत भी है जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के लखनऊ शहर में स्थित है। यह इमारत अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी बेगम हज़रत महल के नाम पर बनाई गई थी।

वास्तुकला: बेगम हज़रत महल एक अद्वितीय वास्तुकला का उदाहरण है। इसकी वास्तुकला में मुग़ल और अवधी शैली का मिलाजुला दृष्टिकोण है।

अर्किटेक्चर: इसकी अर्किटेक्चर में चार मंजिलें हैं, जिनमें विशाल दरवाजे, बालकनियाँ, चट्टी, और छतें शामिल हैं।

भव्यता: इसकी भव्यता और अद्वितीयता ने इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बना दिया है।

इतिहास: बेगम हज़रत महल का निर्माण 1845 से 1850 के बीच हुआ था। यह इमारत अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी बेगम हज़रत महल के नाम पर बनाई गई थी। उन्होंने 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह किया। उनका योगदान विद्रोह में महत्वपूर्ण था। उन्होंने अपने सैनिकों के उत्साह को बढ़ाने के लिए स्वयं युद्ध में भी भाग लिया।

यह इमारत अवध की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसकी वास्तुकला और इतिहास का अध्ययन करने से हमें भारतीय संस्कृति और इतिहास के प्रति गहरी जानकारी प्राप्त होती है।

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