राजकुमार सिद्धार्थ (The Prince Siddhartha) संन्यासी ना हो जाएं इसके लिए महाराज शुद्धोधन ने कड़े प्रयास किए थे। जन्म के समय एक साधु आसित ने भविष्यवाणी की थी कि सिद्धार्थ या तो महान राजा बनेंगे या महान पथ प्रदर्शक। इसके बाद पिता ने पुत्र के संन्यासी होने की सभी संभावनाएं खत्म करने का प्रयत्न किया। हर प्रकार के भोग विलास से उन्हें घेर लिया। संवेदनशील सिद्धार्थ भोग विलास के बीच थे किंतु विरक्त से थे। फिर एक दिन वो अपने सारथी के साथ नगर घूमने निकले।
पहले से सब व्यवस्था करवा दी गई कि राजकुमार को मनोहारी दृश्य ही दिखें लेकिन उस दिन प्रकृति ने ही कुछ ठानी थी। सिद्धार्थ को रास्ते में बूढ़ा आदमी दिखा। पहले कभी उन्होंने इतने बूढ़े आदमी को देखा नहीं था सो सारथी से उसके बारे में पूछा कि ये झुक कर क्यों चल रहा है और कांप क्यों रहा है। सारथी ने बता दिया कि ये तो जीवन की एक अवस्था भर है। हैरान सिद्धार्थ ने उत्सुकता से पूछा कि क्या मैं भी इस अवस्था को प्राप्त होऊंगा। सारथी ने सरल और सच्चा जवाब दे दिया। फिर उन्हें एक रोगी दिखा। उसकी हालत देखकर सिद्धार्थ को कुछ अटपटा लगा। उसके बारे में पूछा तो पता चला कि रोग किसी को भी जकड़ सकता है। फिर एक शवयात्रा दिखी। सिद्धार्थ ने कभी किसी मृत व्यक्ति को देखा नहीं था। सारथी ने ही बताया कि ये भी एक अवस्था है और दरअसल अंतिम है।
The Prince Siddhartha
सिद्धार्थ को सोचकर धक्का लगा कि मृत्यु उनकी भी होगी। इन दृश्यों को देखकर विचलित सिद्धार्थ आगे बढ़े तो किसी प्रसन्न संन्यासी के दर्शन हो गए। सारथी से उसके बारे में पूछा तो मालूम पड़ा कि ये संसार से मुक्त है। राजकुमार को उसके प्रति आकर्षण जागा। उन्हें लगा कि जब सभी को बूढ़ा होकर अशक्त होना है। बीमार होकर शरीर का वैभव खोना है। मरकर संसार से चले जाना है तब कोई कैसे इन सबसे बेपरवाह रह सकता है? इससे पहले कि मौत दबोचे कुछ सवालों के जवाब खोज ही लिए जाने चाहिए।
The Prince Siddhartha : एक राजकुमार का दर्शन
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुंबिनी में हुआ था। उनके पिता शुद्धोधन शाक्य गणराज्य के राजा थे, और उनकी माता महामाया देवी एक कुलीन महिला थीं। गौतम बुद्ध को एक राजकुमार के रूप में पालन-पोषण किया गया था, और उन्हें सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति हुई थी।
हालांकि, गौतम बुद्ध एक गहरी अंतर्दृष्टि वाले व्यक्ति थे। उन्होंने देखा कि जीवन में दुख और पीड़ा है, और वे इस दुख से मुक्ति पाने के लिए एक रास्ता खोजने के लिए प्रेरित थे।
एक दिन, गौतम बुद्ध ने एक बीमार व्यक्ति, एक बूढ़े व्यक्ति, एक मृत व्यक्ति और एक तपस्वी को देखा। इन दृश्यों ने उन्हें जीवन की अस्थायी प्रकृति और दुख के वास्तविक स्वरूप के बारे में सोचने पर मजबूर किया।
गौतम बुद्ध ने सांसारिक जीवन से त्याग कर दिया और एक तपस्वी बन गए। उन्होंने कई वर्षों तक कठिन तपस्या की, लेकिन उन्हें सत्य की प्राप्ति नहीं हुई। अंत में, उन्होंने मध्य मार्ग का पालन करने का फैसला किया, जो कठोर तपस्या और सांसारिक सुखों के बीच संतुलन का एक मार्ग है।
एक दिन, गौतम बुद्ध बोधगया के एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान कर रहे थे। 49 दिनों तक ध्यान करने के बाद, उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। उन्हें बुद्ध के रूप में जाना जाने लगा, जिसका अर्थ है “प्रबुद्ध”।
बुद्ध ने अपने ज्ञान को दूसरों के साथ साझा करने का फैसला किया। उन्होंने भारत और नेपाल के विभिन्न हिस्सों में यात्रा की और लोगों को दुख से मुक्ति पाने का मार्ग दिखाया।
बुद्ध के उपदेश सरल और व्यावहारिक थे। उन्होंने चार आर्य सत्यों और आठ-खंडीय मार्ग की शिक्षा दी। चार आर्य सत्य यह हैं कि:
- जीवन दुख है।
- दुख का कारण लालसा है।
- दुख का निरोध लालसा के निरोध से होता है।
- दुख का निरोध आठ-खंडीय मार्ग के अनुसरण से होता है।
आठ-खंडीय मार्ग यह है:
- सही दृष्टि
- सही संकल्प
- सही भाषण
- सही कर्म
- सही आजीविका
- सही प्रयास
- सही जागरूकता
- सही ध्यान
बुद्ध के उपदेशों ने दुनिया भर के लोगों को प्रभावित किया है। बौद्ध धर्म आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। बुद्ध के उपदेश आज भी लोगों को दुख से मुक्ति पाने और एक बेहतर जीवन जीने में मदद करते हैं।
गौतम बुद्ध का प्रभाव
गौतम बुद्ध ने दुनिया पर एक गहरा प्रभाव डाला है। उनके उपदेशों ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है और उन्हें दुख से मुक्ति पाने और एक बेहतर जीवन जीने में मदद की है। बुद्ध के उपदेशों ने कई क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डाला है। उन्होंने शांति, सद्भाव और करुणा को बढ़ावा दिया है। उन्होंने लोगों को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया है। बुद्ध के उपदेशों ने आज भी प्रासंगिकता बनाए रखी है। वे एक ऐसे मार्ग प्रदान करते हैं जो लोगों को दुख से मुक्ति पाने और एक बेहतर जीवन जीने में मदद कर सकता है
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बुद्ध ने लगभग ४८३ ईसा पूर्व कुशीनगर में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया, जिसका अर्थ है कि उनका शरीर और मन दोनों ही संसार के बंधनों से मुक्त हो गए। बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को अनेक ग्रंथों, सूत्रों, कथाओं और कलाकृतियों में दर्शाया गया है। बुद्ध का जन्मदिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में विश्वभर में मनाया जाता है। बुद्ध के अनुयायी बौद्ध धर्म का पालन करते हैं, जो एक विश्वधर्म है और आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करता है। बुद्ध को विश्व के सर्वश्रेष्ठ शांति दूतों में से एक माना जाता है। गौतम बुद्ध एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने दुनिया को एक बेहतर जगह बना दिया। उनके उपदेश आज भी लोगों को प्रेरित और मार्गदर्शन करते हैं।