तो वो दिन आ ही गया जिसका महीनों से इंतज़ार था। CUET Result आपके हाथों में है, स्कोरकार्ड आपकी स्क्रीन पर चमक रहा है। एक तरफ excitement है, तो दूसरी तरफ दिल में ढेरों सवाल और ज़बरदस्त कन्फ्यूजन – “मेरे स्कोर पर कौन-सा कॉलेज मिलेगा?”, “पहले कौन-सा कोर्स भरूँ?”, “Preference list कैसे बनाऊँ कि कोई गलती न हो जाए?”

अगर आपके मन में भी यही सब चल रहा है, तो relax! आप अकेले नहीं हैं। यह वो phase है जहाँ एक अच्छी रैंक लाने वाला स्टूडेंट भी, अगर स्मार्टली काम न करे, तो अपने सपनों के कॉलेज से चूक सकता है। और एक एवरेज स्कोर वाला स्टूडेंट, सही स्ट्रैटेजी से एक बेहतरीन सीट हासिल कर सकता है।
यह पोस्ट आपके बड़े भाई या दोस्त की तरंह है जो आपको इस मुश्किल प्रोसेस में हाथ पकड़कर गाइड करेगा। आज हम counseling और preference filling के पूरे चक्कर को step-by-step, बिलकुल आसान भाषा में समझेंगे।
Step 1: Don’t Panic! पहले एक गहरी साँस लो
हाँ, सबसे पहला और ज़रूरी स्टेप यही है। रिजल्ट आते ही हम अक्सर हड़बड़ी में फैसले लेने लगते हैं। दोस्तों से पूछते हैं, रिश्तेदारों से सलाह लेते हैं और यूट्यूब पर सौ वीडियो देख डालते हैं। इस सब में हम और ज़्यादा confuse हो जाते हैं।
याद रखिए, काउंसलिंग पोर्टल कुछ दिनों के लिए खुला रहता है। आपके पास सोचने, रिसर्च करने और फैसला लेने के लिए पूरा समय है। एक गलत क्लिक आपकी साल भर की मेहनत पर पानी फेर सकता है। इसलिए, पहला नियम – No Panic, Only Planning!
Step 2: Research, Research और सिर्फ Research! (The Homework Phase)
Preference list कोई लॉटरी का टिकट नहीं है कि कुछ भी भर दिया और क़िस्मत के भरोसे बैठ गए। यह एक calculated, well-researched डॉक्युमेंट है। तो अपनी डायरी और पेन उठाइए और ये homework शुरू कर दीजिए:
a) अपने स्कोर को समझो:
आपके स्कोरकार्ड में परसेंटाइल (Percentile) और नॉर्मलाइज्ड स्कोर (Normalised Score) दिया गया है। परसेंटाइल का मतलब है कि कितने प्रतिशत बच्चे आपसे पीछे हैं। लेकिन एडमिशन ज़्यादातर नॉर्मलाइज्ड स्कोर के आधार पर होता है। अपने स्कोर को लेकर realistic बनें।
b) Colleges और Courses की लिस्ट बनाओ:
एक एक्सेल शीट या डायरी में तीन तरह की लिस्ट तैयार करें:
- Dream List: वो टॉप कॉलेज और कोर्स जिन्हें आप पाना चाहते हैं, भले ही आपका स्कोर थोड़ा कम हो (जैसे DU का St. Stephen’s, SRCC, Hindu College)।
- Realistic List: वो अच्छे कॉलेज और कोर्स जहाँ आपके स्कोर के आधार पर एडमिशन मिलने के अच्छे चांस हैं। इसके लिए पिछले साल (2024) की कट-ऑफ लिस्ट ज़रूर देखें।
- Safety Net List: वो कॉलेज और कोर्स जहाँ आपको एडमिशन मिलने की लगभग 100% गारंटी हो। यह आपका बैकअप प्लान है, ताकि आपका साल बर्बाद न हो।
c) Research कैसे करें?
- जिस भी यूनिवर्सिटी को टारगेट कर रहे हैं (जैसे Delhi University, BHU, etc.), उसकी ऑफिशियल वेबसाइट को अच्छे से छान मारें।
- Google पर “DU College Rankings for B.Com (Hons)” या “Last year CUET cutoff for BHU B.Sc.” जैसे कीवर्ड से सर्च करें।
- LinkedIn या Instagram पर उन कॉलेजों के सीनियर्स को ढूंढें और उनसे विनम्रता से सलाह माँगें। वो आपको ज़मीनी हक़ीक़त बता सकते हैं।
d) Course > College या College > Course?
यह एक मिलियन-डॉलर सवाल है। इसका जवाब आपके करियर गोल पर निर्भर करता है।
- अगर आपको एक ख़ास फील्ड (जैसे Economics, Psychology) में ही करियर बनाना है, तो कोर्स को प्राथमिकता दें, भले ही कॉलेज थोड़ा कम रैंकिंग का हो।
- अगर आपको एक ओवरऑल अच्छी पर्सनालिटी, अच्छा एक्सपोजर और एक मज़बूत एलुमनाई नेटवर्क चाहिए (जो अक्सर UPSC या MBA की तैयारी में मदद करता है), तो आप कॉलेज के ब्रांड को प्राथमिकता दे सकते हैं।
Step 3: Preference भरने का सुनहरा नियम (The Golden Rule)
अब आते हैं सबसे ज़रूरी हिस्से पर। यहाँ एक भी गलती नहीं होनी चाहिए।
नियम है – अपनी सबसे पसंदीदा (Most Desired) चॉइस को हमेशा नंबर 1 पर रखें, चाहे आपका स्कोर कुछ भी हो।
इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए आपका सपना SRCC से B.Com (Hons) करना है, लेकिन आपको डर है कि आपका स्कोर वहाँ तक नहीं पहुँचेगा। डर के मारे आपने नंबर 1 पर एक ‘सेफ’ कॉलेज डाल दिया और SRCC को 10वें नंबर पर।
अब एडमिशन सॉफ्टवेयर आपकी लिस्ट चेक करेगा। अगर आप उस ‘सेफ’ कॉलेज की कट-ऑफ क्लियर कर रहे हैं, तो वो आपको वही सीट अलॉट करके आगे बढ़ जाएगा। वो आपकी 10वें नंबर की चॉइस तक जाएगा ही नहीं, भले ही आप SRCC की कट-ऑफ भी क्लियर कर रहे हों!
इसलिए, हमेशा अपनी Dream List से शुरू करें, फिर Realistic List पर आएं और आखिर में Safety Net List भरें।
प्रो-टिप: ज़्यादा से ज़्यादा चॉइस भरें। 50, 100, 200… जितनी भी संभव हो। इससे आपके एडमिशन के चांस बढ़ जाते हैं। ये मत सोचें कि “ये कॉलेज तो मुझे नहीं चाहिए”। हर ऑप्शन एक संभावना है।
Step 4: ‘Submit’ दबाने से पहले की Checklist
जब आप अपनी लिस्ट ऑनलाइन पोर्टल पर भर रहे हों, तो इन बातों का ध्यान रखें:
- सारे Documents तैयार रखें: अपनी स्कैन्ड फोटो, सिग्नेचर, 10वीं-12वीं की मार्कशीट, और कैटेगरी सर्टिफिकेट (अगर लागू हो) एक फोल्डर में सेव कर लें।
- Double-Check, Triple-Check: अपनी भरी हुई लिस्ट को दो-तीन बार चेक करें। कहीं कोई क्रम (order) गलत तो नहीं हो गया?
- Save/Lock Choices: जब तक आप 100% श्योर न हों, तब तक ‘Lock’ का बटन न दबाएँ। आप आखिरी तारीख से पहले अपनी लिस्ट को कई बार बदल सकते हैं।
- Printout लें: फाइनल लिस्ट सबमिट करने के बाद उसका प्रिंटआउट या PDF अपने पास ज़रूर सेव कर लें।
Step 5: सीट मिलने के बाद – Freeze, Float या Slide?
जब पहले राउंड का रिजल्ट आएगा और आपको कोई सीट अलॉट होगी, तो आपके पास आमतौर पर तीन ऑप्शन होंगे:
- Freeze: इसका मतलब है कि आप अलॉट हुई सीट से खुश हैं और आप एडमिशन प्रोसेस में आगे हिस्सा नहीं लेना चाहते। आप अपनी सीट पक्की कर लेते हैं।
- Float (सबसे ज़रूरी): इसका मतलब है कि आप मिली हुई सीट को तो स्वीकार करते हैं (ताकि वो आपके हाथ से न जाए), लेकिन आप उम्मीद करते हैं कि अगले राउंड में आपको अपनी भरी हुई लिस्ट में से कोई ऊपर की चॉइस मिल जाए। ज़्यादातर स्टूडेंट्स यही ऑप्शन चुनते हैं।
- Slide: इसका मतलब है कि आप मिली हुई सीट को स्वीकार करते हैं, लेकिन आप उसी कॉलेज में अपनी किसी ऊँची प्रेफरेंस वाले कोर्स में अपग्रेड चाहते हैं। (यह ऑप्शन हर यूनिवर्सिटी में उपलब्ध नहीं होता है)।
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दोस्तों, CUET की परीक्षा देना एक पड़ाव था, और अब ये काउंसलिंग का प्रोसेस दूसरा और आख़िरी पड़ाव है। यह थोड़ा थकाऊ और कन्फ्यूजिंग लग सकता है, लेकिन अगर आप प्लानिंग और रिसर्च के साथ आगे बढ़ेंगे, तो आप ज़रूर अपने लिए बेस्ट कॉलेज और कोर्स हासिल कर लेंगे।
आपने मेहनत की है, अब स्मार्ट वर्क करने का टाइम है। घबराएँ नहीं, सोच-समझकर फैसला लें। आपका भविष्य आपके हाथ में है।
अगर आपका अभी भी कोई सवाल है या आप अपना कोई अनुभव शेयर करना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट्स में ज़रूर लिखें। All the best!