1907 में, ‘चैम वीज़मैन’ नाम के एक रसायनज्ञ और ब्रिटेन के यहूदी समुदाय के एक महत्वपूर्ण नेता ने पहली बार फिलिस्तीन का दौरा किया। उन्होंने जाफ़ा क्षेत्र में एक कंपनी (Jews were settled in Palestine) की स्थापना की, और फिलिस्तीन में इज़राइल के निर्माण की नींव रखी। तीन साल बाद, एक यहूदी राष्ट्रीय कोष की स्थापना की गई है, जिसके माध्यम से फ़िलिस्तीन में यहूदियों को बसाने के लिए ज़मीन खरीदी जाती है।
75 साल पहले इजराइल के बनने की कहानी -Jews were settled in Palestine by opening a company
“परिणामस्वरूप, 60,000 फ़िलिस्तीनियों को मर्ज बिन आमेर में अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। विरोध के बावजूद, फ़िलिस्तीन में यहूदियों के प्रवेश की प्रक्रिया दशकों तक जारी रही। 1948 में, इस क्षेत्र पर इज़राइल नामक एक अलग राज्य द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया। स्थापित किया गया।”
1917
प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन एम्पायर की हार के बाद फिलिस्तीन पर ब्रिटेन कब्जा कर लेता है। इस समय यहां ज्यादा आबादी अरब मुस्लिमों
की होती है, यहूदी अल्पसंख्यक होते हैं।
1920-1940
यूरोप में यहूदियों के खिलाफ भावनाएं पैदा होती हैं। इस बीच ब्रिटेन को फिलिस्तीन में यहूदियों के लिए एक अलग देश बनाने का काम सौंपा जाता है। सेकेंड वर्ल्ड वॉर में हिटलर की फौज लाखों यहूदियों का जनसंहार करती है।
1947-1948
यहूदियों के लिए एक देश की समस्या का समाधान निकाले बिना अंग्रेज फिलिस्तीन छोड़कर चले जाते हैं। 1947 में संयुक्त राष्ट्र संघ फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांटने का सुझाव देता है। एक हिस्से को यहूदियों के लिए और दूसरे को अरब मुस्लिमों के लिए रखने की सिफारिश की जाती है। 14 मई, 1948 को फिलिस्तीन के बड़े यहूदी नेता डेविड बेंगुरिअन इजराइल बनने की घोषणा कर देते हैं। फिलिस्तीनियों के विरोध करने पर 15 मई को 8 महीने की जंग शुरू होती है। एक तरफ अरब देश होते हैं और दूसरी तरफ पश्चिमी देशों के समर्थन के साथ इजराइल। अलजजीरा के मुताबिक अरब देशों की सेना में केवल 24 हजार सैनिक होते थे। जबकि यहूदियों की आबादी कम होने के बाद भी उनकी तरफ से 80 हजार से ज्यादा सैनिक लड़े थे। फिलिस्तीनियों को जबरन उनके घरों से निकाला जाता है। अरब मुस्लिम इस दिन को ‘अल नकबा’ यानी विनाश के दिन के तौर पर याद करते हैं। जुलाई 1949 तक इजराइली फोर्सेस 7 लाख 50 हजार फिलिस्तीनियों को निकाल चुकी थी।
1949
सीजफायर के ऐलान के साथ जंग रुकती है। फिलिस्तीन का ज्यादातर हिस्सा इजराइल के कब्जे में होता है। जो जमीन जोर्डन ने कब्जाई होती है, उसे आज वेस्ट बैंक के नाम से जानते हैं। वहीं जिस इलाके पर मिस्त्र का कब्जा रहता है उसे गाजा कहते हैं । फिलिस्तीन की राजधानी यरुशलम को दो हिस्सों में बांटा जाता है। एक जोर्डन के पास होता है, वहीं एक पर इजराइली फोर्सेस का कब्जा रहता है।
1964
फिलिस्तीन को इजराइलियों से आजाद कराने के लिए PLO का गठन किया जाता है। PLO यानी फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन
1967
इजराइल ने मिस्र, जोर्डन और सीरिया को हराकर ईस्ट यरुशलम, वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी और गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया। इसे सिक्स डे वॉर यानी 6 दिनों को युद्ध भी कहा जाता है। इजराइल के कब्जा किए गए इलाकों में यहूदियों की कॉलोनियों का बसना शुरू होता है। हजारों फिलिस्तीनियों को अपना घर छोड़ना पड़ता है।
1973
अरब देशों का समूह मिस्र के नेतृत्व में एक बार फिर इजराइल पर हमला करता है। ये हमला यहूदी वर्ष के पवित्र दिन ‘योम किपुर’ 6 अक्टूबर को किया जाता है। इजराइल फिर एक बार अमेरिका की मदद से अरब देशों को हरा देता है।
1974
UN के प्रस्ताव 181 के तहत फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांट दिया जाता है। एक यहूदियों के लिए, दूसरा अरब मुस्लिमों के लिए। वहीं, यरुशलम को इंटरनेशनल सिटी घोषित कर दिया जाता है। UN के इस प्रस्ताव को यहूदी लीडर पसंद करते हैं, लेकिन अरब देश इसे स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं।
1978
मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादत और इजराइल के प्रधानमंत्री के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर शांति समझौता कराने की कोशिश करते हैं। इसे डेविड अकॉर्ड नाम दिया जाता है। हालांकि, इसके तहत दिए सुझाव कभी लागू नहीं हुए।
1982
इजराइल 6 जून को फिलिस्तीनी उग्रवादियों पर हमला करने के लिए लेबनान में घुसपैठ करता है। इसमें इजराइल के समर्थन वाले मिलिशिया बेरुत के कैंपों में रह रहे कई सौ फिलिस्तीनी शरणार्थियों को मार डालते हैं।
1987
फिलिस्तीन पहले इतिफादा यानी विद्रोह की शुरुआत करता है। वेस्ट बैंक, गाजा और इजराइल में हिंसक झड़प शुरू होती है। ये 1987 तक जारी रहती हैं। दोनों तरफ लोगों की जान जाती हैं। इस बीच इजराइल पूरे यरुशलम को अपनी राजधानी बनाने की घोषणा कर देता है। अमेरिका इजराइल का समर्थन करता है।
1993
अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की अगुवाई में 6 महीनों तक चली सीक्रेट बातचीत के बाद इजराइल और फिलिस्तीन लिबरेश ऑर्गेनाइजेशन के बीच 2 समझौते कराए जाते हैं। इसे ऑस्लो एग्रीमेंट नाम दिया जाता है। इस एग्रीमेंट से भी दोनों के बीच कोई हल नहीं निकला।
2000
फिलिस्तीनियों की तरफ से दूसरे इंतिफादा की शुरुआत होती है। इसकी वजह से इजराइली लीडर एरिअल शोन का मुस्लिमों के लिए पवित्र मानी जाने वाली अल-अक्सा मस्जिद जाना होता है। दरअसल, ईसाई और यहूदी भी इसे अपना पवित्र स्थल टेंपल माउंट समझते हैं।
2002-2004
आत्मघाती हमलों की जवाबी कार्रवाई में इजराइल वेस्ट बैंक में घुसपैठ कर देता है। इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस UN को बताता है कि वेस्ट बैंक और गोलान हाइट्स में इजराइल का कब्जा गैर कानूनी है।
2006
38 साल तक कब्जे के बाद इजराइली फोर्सेस गाजा छोड़कर चली जाती हैं। हमास यहां चुनाव जीतता है।
2008
फिलिस्तीनी मिलिटेंट मिस्त्र की भेजी गई मिसाइलों से इजराइल पर हमला करते हैं। जवाबी कार्रवाई में इजराइल भी गाजा पर हमला करता है। इसमें फिलिस्तीन के 1110 लोगों की जान जाती है। जबकि 13 इजराइलियों की भी मौत होती है।
2012
इजराइल हमास के मिलिट्री चीफ अहमद जबारी को मार डालता है। बदले में गाजा की तरफ से रॉकेट दागे जाते हैं। इजराइल एयरस्ट्राइक करता है। इसमें इजराइल के 6 और फिलिस्तीन के 150 लोगों की मौत होती है।
2014
हमास के मिलिटेंट 3 इजराइली बच्चों को मार देते हैं। बदले में इजराइली मिलिट्री अटैक करती है। ये हिंसा 7 हफ्तों तक जारी रहती है। इसमें फिलिस्तीन के 2200, वहीं इजराइल के 67 सैनिकों और 6 बच्चों की मौत होती है।
2017
अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प यरुशलम को इजराइल की राजधानी घोषित कर देते हैं। अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम शिफ्ट किया जाता है।
2018
प्रदर्शन शुरू होता है। इजराइली सैनिकों पर पत्थर और गैसोलिन बम फेंके जाते हैं। जवाबी कार्रवाई में इजराइल 170 प्रदर्शनकारियों को मार गिराता है।
2020
ट्रम्प ने अपने प्रशासन की प्रस्तावित इज़राइल-फिलिस्तीन शांति योजना को उजागर किया है, जिसे फिलिस्तीनी योगदान के बिना संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायली राजनयिकों द्वारा तैयार किया गया था। योजना दो-राज्य समाधान का प्रस्ताव करती है, जिसमें फिलिस्तीनियों को महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता भी शामिल है। कई विश्लेषकों ने इस योजना की आलोचना की है- पक्षीय, फिलिस्तीनी राज्य के लिए असंभव आवश्यकताओं को सूचीबद्ध करना और वेस्ट बैंक के इजरायली अधिग्रहण के लिए रास्ता खोलना। फिलिस्तीनी अधिकारियों ने तुरंत योजना को खारिज कर दिया। योजना की घोषणा के बाद, नेतन्याहू ने वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों पर कब्जा करने की इजरायल की योजना की घोषणा की, जैसा कि उल्लिखित है ट्रम्प का परिचय।
बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात ने इज़राइल के साथ राजनयिक संबंधों को सामान्य बनाने पर सहमति व्यक्त की, जो पच्चीस वर्षों में ऐसा करने वाले पहले अरब देश बन गए। बदले में, इज़राइल ने वेस्ट बैंक में भूमि पर कब्जा करने की अपनी योजना को निलंबित कर दिया। इसके बाद, मोरक्को और सूडान समझौते पर हस्ताक्षर भी किये और इजराइल के साथ रिश्ते सामान्य किये।
2021
पूर्वी यरुशलम में फ़िलिस्तीनियों के निष्कासन और अल-अक्सा मस्जिद में झड़पों से इज़राइल और हमास के बीच संघर्ष छिड़ गया। गाजा में दो सौ से अधिक लोग और इज़राइल में कम से कम दस लोग मारे गए। बिडेन प्रशासन संघर्ष विराम में मध्यस्थता करने में मदद करता है और फिलिस्तीनियों के साथ कुछ अमेरिकी सहायता और राजनयिक संपर्क बहाल करता है।
2022
यहूदी इजरायलियों के खिलाफ फिलिस्तीनियों के हमलों के जवाब में इज़राइल ने वेस्ट बैंक में आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू किया। ऑपरेशन और परिणामी पुनरुत्थान ने 2005 के बाद से दोनों पक्षों के लिए सबसे घातक वर्ष में योगदान दिया, हिंसा में वृद्धि जो केवल 2023 में बढ़ी।
Oct 7,2023
7 अक्टूबर, 2023 को, हमास ने इज़राइल पर एक अभूतपूर्व आश्चर्यजनक हमला किया, जिससे हिंसा का विस्फोट हुआ। इज़राइली मीडिया के अनुसार, संघर्ष के शुरुआती हमलों में इज़राइल में कम से कम 250 लोग मारे गए और 1,500 घायल हो गए, जिससे यह दशकों में देश में सबसे घातक हमला बन गया। दूसरी ओर, फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इजरायली हमलों में गाजा पट्टी में 232 लोग मारे गए और 1,700 लोग घायल हो गए।
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हमास के सैन्य नेता मोहम्मद दीफ ने कहा कि समूह ने गाजा पर इजरायल की लंबे समय से चल रही नाकेबंदी, फिलिस्तीनी भूमि पर उसके कब्जे और यरूशलेम में अल-अक्सा मस्जिद को अपवित्र करने सहित मुसलमानों के खिलाफ उसके कथित अपराधों के कारण अपना हमला किया। बदले में, इज़राइल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रतिक्रिया देते हुए घोषणा की कि इज़राइल हमास के साथ युद्ध में है। इज़राइल और हमास के बीच अक्टूबर 2023 का संघर्ष कई दशकों में चल रहे इज़राइली-फिलिस्तीनी संघर्ष में सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि का प्रतीक है।