क्या होता है स्टार्टअप और यूनिकॉर्न -Now uncover of the Startups and Unicorns in India

साधारण शब्दों में कहें तो स्टार्टअप वो नई कंपनियां हैं जो अपने बिजनेस आइडिया को बड़े पैमाने पर लागू करने की कोशिश करती हैं। Startups and Unicorns: वो स्टार्टअप हैं जिनकी वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर से ज्यादा हो जाती है। भारत में, यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या 2023 में 109 तक पहुंच गई है, जो 2022 में 44 और 2021 में 13 थी। यह क्रांतिकारी उछाल भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम की बढ़ती मजबूती को दर्शाता है।ऐसी कंपनियों को युवा उद्यमी स्वयं या दो तीन लोगों के साथ मिलकर शुरू करते हैं। शुरू करने वाला व्यक्ति ही कंपनी में शुरुआती पूंजी लगाने के साथ कंपनी का संचालन भी करता है। ये कंपनी अपेक्षाकृत नये प्रोडक्ट्स या सेवाओं पर कार्य करती है, ऐसी सेवाएं जो उस समय बाजार में उपलब्ध नहीं होती हैं। हालांकि केंद्र सरकार के विभाग डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) के अनुसार ‘स्टार्टअप कंपनी वह कंपनी है जो भारतवर्ष में गत पांच वर्षों के अंदर रजिस्टर हुई है और जिसका टर्नओवर 25 करोड़ से अधिक किसी भी वित्त वर्ष में अभी तक नहीं हुआ हो। यह कंपनी इनोवेशन, डेवलपमेंट, डिप्लॉयमेंट, नए प्रोडक्ट का व्यवसायीकरण, टेक्नोलॉजी आधारित सेवा अथवा बौद्धिक संपदा की दिशा में कार्य कर रही हो, ऐसी अपेक्षा की जाती है।’ स्टार्टअप इंडिया के माध्यम से सरकार इन नए और छोटे-छोटे स्टार्टअप न केवल वित्तीय सहायता, उचित मंच और प्रोत्साहन देती है तो अटल इंक्यूबेशन सेंटर जैसे कार्यक्रम के जरिए इन्हें चुनौतीपूर्ण माहौल में तरक्की करने का हुनर भी सिखाया जाता है।

आजकल ‘यूनिकॉर्न’ शब्द खूब चर्चा में है। आप सबने इसके बारे में सुना होगा। एक ऐसा स्टार्टअप होता है जिसका वैल्यू कम से कम 1 बिलियन डॉलर होता है यानी करीब-करीब सात हजार करोड़ रुपये से ज्यादा। साल 2015 तक देश में बमुश्किल नौ या दस यूनिकॉर्न हुआ करते थे। अब यूनिकॉर्न की दुनिया में भी भारत तेज उड़ान भर रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में एक बड़ा बदलाव आया और सिर्फ 10 महीनों में ही भारत में हर 10 दिन में एक यूनिकॉर्न बना है और भारत ने पिछले 50 हफ्तों में स्टार्टअप की दुनिया में लगभग 40 यूनिकॉर्न जोड़े हैं। ये इसलिए भी बड़ी बात है क्योंकि हमारे युवाओं ने ये सफलता कोरोना महामारी के बीच हासिल की है। आज भारत में 70 से अधिक यूनिकॉर्न हो चुके हैं। यानी 70 से अधिक स्टार्टअप ऐसे हैं जो 1 बिलियन से ज्यादा की वैल्यू को पार कर गए हैं। स्टार्टअप की सफलता के कारण हर किसी का उस पर ध्यान गया है और जिस प्रकार से देश से, विदेश से, निवेशकों से उसे समर्थन मिल रहा है. शायद कुछ साल पहले उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था।

महाराष्ट्र में पुणे के रहने वाले मयूर पाटिल के पास एक मोटरसाइकिल थी। उन्होंने 2011 में अपनी मोटरसाइकिल का माइलेज बढ़ाने की कोशिश की और सफलता हासिल करते हुए इसका माइलेज 62 किलोमीटर तक बढ़ाया. 2017-18 में उन्होंने टेक्नोलॉजी डेवलप की और उसका ट्रायल बसों में किया। इससे 40 प्रतिशत उत्सर्जन कम हुआ और 2021 में उन्होंने इसका पेटेंट भी करा लिया। अटल न्यू इंडिया चैलेंज से 90 लाख रुपये ग्रांट मिलने के बाद वह अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर अब अपना स्टार्टअप चला रहे हैं। आज मयूर वाहनों का वायु प्रदूषण कम करने और उनका माइलेज बढ़ाने वाला उपकरण बना रहे हैं। उनके इस अनोखे काम से जहां एक ओर पर्यावरण को लाभ मिल रहा है वहीं वे आत्मनिर्भर बनकर दूसरों को रोज़गार भी दे रहे हैं। मयूर ने बताया कि मोटरसाइकिल का माइलेज जो पहले 25 किमी था उसे हमने 39 किमी कर दिया। मयूर की तरह ही, अहमदाबाद के रहने वाले अंगद सिंह लीक से हटकर कुछ अलग करना चाहते थे। यही कारण है कि जब उन्हें मौका मिला तो उन्होंने अपना स्टार्टअप शुरु किया और माल परिवहन के लिए एक वेबसाइट चलाने लगे. इस स्टार्टअप की सफलता को देखते हुए अंगद के कुछ दोस्त नौकरी छोड़कर उनके साथ काम करने लगे हैं। आज भारत में अगर यह बदलाव आ रहा है तो यह स्टार्ट इंडिया के कारण संभव हुआ है जिसकी घोषणा पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2015 को लाल किले की प्राचीर से की थी और 16 जनवरी 2016 को इसकी शुरुआत की गई थी. दरअसल, आज भारत में औसत उम्र 29 साल है और यह आज दुनिया के सबसे युवा देशों में शामिल है। हमारी 65 फीसदी आबादी की औसत उम्र 35 साल है। यानी यह युवाओं का देश है जिसके सपने भी युवा हैं और वह परंपरागत तरीके से हटकर कुछ अलग करना चाहते हैं जिसमें स्टार्टअप इंडिया उनकी मददगार साबित हो रही है और उनके सपने को नई उड़ान दे रही है।

रोजगार सृजन: यूनिकॉर्न स्टार्टअप बड़ी संख्या में रोजगार सृजित करते हैं, खासकर युवाओं के लिए।

आर्थिक विकास: वे अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं और भारत को एक वैश्विक स्टार्टअप हब के रूप में स्थापित करने में मदद करते हैं।

नवाचार: वे नए उत्पादों और सेवाओं के विकास को प्रोत्साहित करते हैं, जो जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

वित्तपोषण: यूनिकॉर्न स्टार्टअप को बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता होती है, जो हमेशा आसानी से उपलब्ध नहीं होता है।

प्रतिस्पर्धा: वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक है, और सफल होने के लिए स्टार्टअप को अद्वितीय और नवीन होना चाहिए।

सरकारी नियम: अक्सर सरकारी नियम और नीतियां स्टार्टअप के विकास में बाधा डाल सकती हैं।

भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप का भविष्य उज्ज्वल है। अनुमान है कि 2025 तक भारत में 500 यूनिकॉर्न स्टार्टअप हो सकते हैं। सरकार स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है।

  • Byju’s
  • Paytm
  • Flipkart
  • Zomato
  • PhonePe
  • Ola
  • Swiggy
  • PolicyBazaar

यूनिकॉर्न स्टार्टअप भारत की अर्थव्यवस्था और समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे रोजगार सृजन, आर्थिक विकास और नवाचार को बढ़ावा देते हैं। सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना चाहिए ताकि भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार किया जा सके।

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